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बिरोध हरामजादा शब्द का नहीं , मोदी का है ?

khullam khulla
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वैसे साध्वी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है जिस पर इतना बवाल होता लेकिन माफ़ी मांगकर साध्वी ने बवाल खुद ब खुद बढ़ा दिया / जब अगला अपने को हरामजादा मान कर बवाल कर रहा है तो साध्वी को माफ़ी माँगने की बात समझ में नहीं आ रही है / इस सन्दर्भ में मई एक रोचक घटना का उल्लेख कर रहा हु , लोक सभा चुनाव के दौरान भाजपा की एक सभा हो रही थी जिसमे वक्ता महोदय बार बार लूली -लंगड़ी सरकार न बनाने की अपील कर रहे थे / उस सभा में दो-चार लंगड़े भी थे , जिन्हे लगा की ए हमें ही लंगड़ा कह रहे है / इन लोगो ने ऐसा बवाल काटा की नेता जी को माफ़ी मांगनी पडी / यद्यपि साध्वी को यह अंदाजा बिलकुल नहीं रहा होगा की इसका इतना खतरनाक अर्थ निकाला जा सकता है , वो तो सभाओ में जैसा अक्सर बोला जाता है बोल गई / क्योकि इसके पहले कांग्रेस मोदी को हत्यारा , मौत का सौदागर ,राक्षस जैसे शब्दों से नवाज चुकी है , ममता मोदी के कमर में रस्सी बांधकर घसीटने की बात कह चुकी है , लालू मुलायम तो आज भी मोदी के लिए अबे तबे की भाषा का प्रयोग करते है ! मायावती इन सबो से चार कदम आगे जाकर ‘कलम तराजू औ तलवार , इनको मारो जूते चार ‘ कहते कहते कई बार मुख्य मंत्री बन चुकी है / अगर वह सब शब्द शालीन थे तो हरामजादा शब्द अशिष्ट कैसे हो गया / समझ में नहीं आता की ए नेता लोग जनता को कब तक बेवकूफ समझेगे ? माना की जाती धर्म क्षेत्र के बदौलत तमाम नेताओ की पैठ जनता में है , लेकिन वे लोग इनके सोच से प्रभावित है यह कदापि नहीं है / क्योकि आज तक किसी दल के नेता ने इनके सोच को प्रभावित करने का काम ही नहीं किया / किसी ने २ रुपया किलो खाद्यान्न दिया तो किसी ने लैपटॉप बांटा ! अब जब की मोदी उनके सोच को बदलने की कोशिस कर रहे है तो बिरोधियो का सोच बीकृत होगा ही ! लेकिन मोदी को इतना समझना होगा की दहलेंगी का जवाब दहलेंगी होता है माफ़ी नहीं !

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